लखनऊ :हलाला के बाद हलाल शब्द इन दिनों चर्चा में है। खासकर जब से यूपी में हलाल सामग्री को लेकर नियम कड़े किए गए हैं तब से यह शब्द बाजारी दुनिया से लेकर आमलोगों में चर्चा में है। अन्य कोई भी संस्था या व्यक्ति यदि हलाल प्रमाणित सर्टिफिकेट जारी करता है तो वह गैर कानूनी होगा और कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। : उत्तर प्रदेश में हलाल सामग्री को अपने दुकानों और प्रतिष्ठानों से हटाने के लिए समय सीमा आठ दिसंबर तय किया गया है। खासकर मांस और उससे निर्मित सामग्री को लेकर सरकार की तरफ से स्थिति को साफ किया गया है। अब यह तय किया गया है कि एनएबीसीबी संस्था ही हलाल प्रमाणित सर्टिफिकेट जारी करेगी। इसके अलावा अन्य कोई भी संस्था या व्यक्ति यदि हलाल प्रमाणित सर्टिफिकेट जारी करता है तो वह गैर कानूनी होगा और कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन को यह जिम्मेदारी दे दी गई है। अब यह संस्था सिर्फ अधिकृत संस्थाओं या कंपनियों को हलाल सर्टिफिकेट जारी करेगी। उल्लेखनीय है कि गत 15 दिनों से प्रदेश में हलाल प्रमाणित सामग्री के भंडारण और बिक्री को लेकर कार्रवाई की जा रही है। एनएबीसीबी की तरफ से तीन संस्थाओं को मान्यता दिया गया है जो हलाल सर्टिफिकेट जारी कर सकती हैं। जिसमें लखनऊ की संस्था हलाल शरीयत इस्लामिक लॉ बोर्ड शामिल है। इसके अलावा दिल्ली की जमीयत उलेमा ए हिंद को भी सर्टिफिकेट देने के लिए अधिकृत किया गया है। इसके अलावा मुंबई की जेयूएचएस संस्था को अधिकृत किया गया है। यह संस्थाएं सिर्फ मांस और मांस से निर्मित उत्पादों पर ही अपना प्रमाण पत्र जारी कर सकती हैं।